ओ भीना कस के जान द्वाराहाट - TOURIST SANDESH

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मंगलवार, 25 अगस्त 2020

ओ भीना कस के जान द्वाराहाट

पव्वा दर्शन

 ओ भीना कस के जान द्वाराहाट

 पव्वा दर्शन भी बड़ा अजीब होता है पव्वा यानि पावर हो या शराब का पव्वा हो या किसी भी ताकतवर का छुटभैया पव्वा हो होता कमाल है। पव्वा मूल रूप से तमोगुणी होता है तमोगुण प्रधान होने के कारण पव्वा अहंकार का जन्म देता है। अब देखो ना उत्तराखण्ड के एक विधायक यौन शोषण के मामले में फंस चुके हैं परन्तु फिर भी स्वयं को बेदाग साबित करने के लिए जोर लगा हैं। पव्वा प्रधान जो ठहरे। स्वर्गवासी एक पूर्व सुबे के मुखिया भी ऐसा पहले कर चुके हैं। जोर लगाया फिर भी हार गये। एक मंत्री भी जैनी काण्ड में पहले भी फंस चुके हैं। यानि कुल मिलाकर उत्तराखण्ड के लिए यह कोई नई घटना नहीं है। भद्वा भैजी आजकल एक पहाड़ी गीत गुनगुना रहे हैं। ‘ओ भीना कस के जान द्वाराहाट.... वैसे तो भद्वा भैजी एक धीर गंभीर भद्र पुरूष हैं परन्तु कभी-कभी यूं ही चिकौटी काट, चुन्नी खींच मजाक भी कर ही लेते हैं। वैसें तो योन शोषण में फंसने वाले वो पहले या आखरी नेता नहीं हें। इनसे पूर्व भी कई रिकॉर्ड धारी इस देश में मौजूद हैं। चाल-चेहरा भले ही अलग-अलग रहता हो परन्तु अधिकतर मामलों में क्लाईमैक्स लगभग एक जैसा ही रहता है। इधर भद्वा भैजी आजकल पहाड़ी गीत में मस्त है तो दूसरी ओर कल बाजार में मास्क पहने तथा बगल में थैला दबायें रणी भैजी से सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए मुलाकात हो गयी है। हमने रणी भैजी को यूं ही छेड़ दिया कि भैजी सब ठीक है अच्छे दिन आये कि नहीं, तो रणी भैजी फफक पड़े बोले अच्छे दिन आये हैं ना कोरोना भी साथ लाये हैं। एक जनप्रतिनिधि जिसे कि विधान सभा में इसलिए भेजा जाता है कि, वह जनता की आवाज बन सके परन्तु वह तो रंग-रलियां मनाने में बिजी है। आमजन के लिए तो उसके पास समय ही नहीं है। यही हाल सरकार का भी है चार साल होने को आये। परन्तु अभी तक सरकार यही तय नहीं कर पायी है कि उसे करना क्या है। लगभग चार साल होने को आये जनप्रतिनिधि अपने पव्वों के साथ थैला भरते रहे और अब जन सेवा का दिखावा करने के लिए भटक रहे हैं। इधर मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनायें बढ़ रही है। टिहरी के मलेथा की घटना तो ताजी है जहां ध्वजारोहण के ऐनवक्त पर गुलदार ने हमला कर दिया था। परन्तु हो भी क्या सकता है, हमारे मानननीय जी तो गमछा लटका कर कोरोना का डरा रहे हैं। जांच सैंपल लेने में दो दिन, जांच आने में छः दिन और उसमें बाद गली सीज होती है सात दिन। सामाजिक दूरी का शिगूफा भी खूब चल रहा है। व्यक्ति से व्यक्ति दूर हो चला है। भले कई क्वारंटाइन सेंटरों में महिलायें गर्भवती होने की खबर भी समाचार पत्रों में आ रही हां परन्तु फिर भी सामाजिक बंधनों में बिखराव तो हुआ ही है। कुंवे में भांग और स्वांग दोनों भी गजब होते हैं इससे हर कोई प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। अतः कुवें में भांग डालते रहिए और स्वांग रचते रहिए फिर देखिए पव्वा दर्शन का कमाल अजी कमाल ही कमाल होगा कर के तो देखिए।

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